धीरे -धीरे
धीरे -धीरे
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मिट रहा है
अस्तित्व मेरा
धीरे -धीरे,
सब भूल रहे
मुझे भी अब
धीरे -धीरे,
कसूर ही मेरा
होगा वक़्त के
नज़ाक़त मे,
आँखे चेहरा धो
रही है धीरे -धीरे,
कैसा पल है आया
सभी रिश्तों मे
हर कोई कट रहा है
अपनों से भी धीरे -धीरे,
कोई निदान तो होगा
इस दुनियां का यारा
मिट्टी को मिट्टी के हवाले
कर रहा है वक़्त
भी धीरे -धीरे।
