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Ajay Nidaan

Others

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Ajay Nidaan

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धीरे -धीरे

धीरे -धीरे

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मिट रहा है

अस्तित्व मेरा

धीरे -धीरे,

सब भूल रहे

मुझे भी अब

धीरे -धीरे,

कसूर ही मेरा

होगा वक़्त के

नज़ाक़त मे,

आँखे चेहरा धो

रही है धीरे -धीरे,

कैसा पल है आया

सभी रिश्तों मे

हर कोई कट रहा है

अपनों से भी धीरे -धीरे,

कोई निदान तो होगा

इस दुनियां का यारा

मिट्टी को मिट्टी के हवाले

कर रहा है वक़्त

भी धीरे -धीरे।



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