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Ajay Nidaan

Others

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Ajay Nidaan

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आशियाना

आशियाना

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उड़ता रहूं फ़लक पर 

अपने परो के साथ

एक यक़ीन की हस्ती को

साबित करने के लिए,

रोज़ थोड़ा-थोड़ा पेट

की खातिर मरने के लिए,

फिर सोचता हूँ कब तक

ऐसे बैठें-बैठें जीवन चले

वजूद के लिए कोई और

ठिकाना हो,

जहां इस ज़िंदगी को

जमाना हो ,

ठहर जाये ऐसी जगह पर

जहाँ सिर्फ प्यार का

आशियाना हो।



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