है गर्मी के मौसम में सर्दी का आलम लिपट के वो मुझसे पिघलने लगी है है गर्मी के मौसम में सर्दी का आलम लिपट के वो मुझसे पिघलने लगी है
ऐसे बैठें-बैठें जीवन चले वजूद के लिए कोई और ठिकाना हो ऐसे बैठें-बैठें जीवन चले वजूद के लिए कोई और ठिकाना हो
और क्या रखु मैं तवक़्क़ो तुमसे ए साक़ी जो मुक़म्मल है ज़िन्दगी इसी ताबीर-ए-ख़्वाब से ! और क्या रखु मैं तवक़्क़ो तुमसे ए साक़ी जो मुक़म्मल है ज़िन्दगी इसी ताबीर-ए-ख़्वाब से ...
वापस ज़मीं पर आ गया वापस ज़मीं पर आ गया
बन जाऊँ मै भी इक छोटा सा कोई सितारा फ़लक का बन जाऊँ मै भी इक छोटा सा कोई सितारा फ़लक का
है इश्क का मारा वो चाँद भी कहीं, क्यों रोशनी की उसको तलाश ज़ारी है? है इश्क का मारा वो चाँद भी कहीं, क्यों रोशनी की उसको तलाश ज़ारी है?