डॉ अशोक गोयल " अशोक " डॉ अशोक गोयल " अशोक "
वापस ज़मीं पर आ गया वापस ज़मीं पर आ गया
आओ लगाएं एक ऐसा शज़र कि जिसके साए में हम भी बैठें और तुम भी बैठो आओ लगाएं एक ऐसा शज़र कि जिसके साए में हम भी बैठें और तुम भी बैठो
महका महका सा रहता है दिल के गुलशन का कोना। महका महका सा रहता है दिल के गुलशन का कोना।
बीच में कभी कभी ये ज़मीं-आसमाँ मुझे हम दोनों से लगते हैं । बीच में कभी कभी ये ज़मीं-आसमाँ मुझे हम दोनों से लगते हैं ।
पल-पल बढ़ रही, सबको ये डंस रही. पल-पल बढ़ रही, सबको ये डंस रही.