आहत की आवाज़। आहत की आवाज़।
निकल आते हैं पर तो शजर को छोड़ देते हैं। निकल आते हैं पर तो शजर को छोड़ देते हैं।
कुछ और बढ़ गई हैं शजर की उदासियाँ, शाख़ों से आज फिर कोई पत्ता निकल गया... कुछ और बढ़ गई हैं शजर की उदासियाँ, शाख़ों से आज फिर कोई पत्ता निकल गया...
ओस की बूँद सी तेरी मोहब्बत ओस की बूँद सी तेरी मोहब्बत
तोड़ा था जो पत्ता तुमने उस शाख का, सुना है शजर में अभी जान बाकी है। तोड़ा था जो पत्ता तुमने उस शाख का, सुना है शजर में अभी जान बाकी है।
आओ लगाएं एक ऐसा शज़र कि जिसके साए में हम भी बैठें और तुम भी बैठो आओ लगाएं एक ऐसा शज़र कि जिसके साए में हम भी बैठें और तुम भी बैठो