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Karishma Gupta

Abstract

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Karishma Gupta

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एक उड़ान

एक उड़ान

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तोड़ा था जो पत्ता तुमने उस शाख का, 

सुना है शजर में अभी जान बाकी है,


बख़्श दिया तुमने सोच कर ज़ख्मी है परिंदा,

टूटी नहीं उम्मीद उसकी अभी अर्श तक पहुंचने की,


सुना है कि अभी एक उड़ान बाकी।

अभी एक उड़ान बाकी।।


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