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Karishma Gupta

Abstract Drama Tragedy

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Karishma Gupta

Abstract Drama Tragedy

"बदलाव"

"बदलाव"

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एक वक्त के बाद बहुत कुछ बदल जाता है 

जहां हमेशा ही ढूंढा किसी न किसी को अपने पास

वहीं एकांकी होना ही सर्वस्व हो जाता है

रिश्ते घटते घटते सीमित हो जाते है 

लम्बे अरसे तक निभाने के लिए किए गए वादे 

ओझल हो जाते हैं।


ऐसा नहीं कि सब खत्म हो जाता है 

बाकी रहता है जैसे कल्पना में, यादों में, 

साथ में भी परंतु एक दूरी के साथ 

जिसमें साथ होने या दूर होने के

कोई मायने नहीं रहते।


भविष्य की योजनाओं को सोचते सोचते

उन्हें परिपूर्ण करने के कई असफल प्रयत्नों के बाद

वर्तमान में जीने की इच्छा बची रह जाती है 

एक वक्त के बाद बहुत कुछ बदल जाता है।


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