वो बस जी रहे हैं
वो बस जी रहे हैं
मैं तुम और न जाने कितने शख्स यहां जी नहीं रहे हैं
वो बस जी रहे हैं
ऐसा नहीं है कि जीने की वजह नहीं
वजह भी है दायित्व भी है
परंतु इन सब मैं हमने खुद को खो दिया है
मानो एक मशीन जो घड़ी के साथ ताल मेल बनाती हो
दौड़ती रुकती सी भागी जाती हो
इस दौड़ में अब खुद से मिलना भी नहीं चाहते
ऐसा लगता है मानो बहुत देर हो चुकी हैं
कुछ छूट गया है जो वापस नहीं मिलेगा
और इसी उलझन में अपने शायद, किंतु, परंतु के साथ
मैं तुम और न जाने कितने शख्स वो बस जी रहे हैं।