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कितनी अजीब सी बात है न
अब जो हमें अच्छा लगे
जो भी करना चाहे तो
सही गलत में न उलझ कर
उसे अनुभव का नाम देते है
हमारे अनुभव ही हमें कितना परिवर्तित कर देते है
आज मुड़कर देख रही हूं
आश्चर्य भी है
क्रोध भी और
हास्यप्रद भी
कई बार किसी का जाना
दुखद नहीं सुखद भी होता है
और किसी का आना–जाना
दोनों ही सुखद होते है जैसे तुम
अब ठहरना ही उचित है परंतु तुम पर
बस जीवन चलता रहेगा जैसे भी जहां भी जब तक।