खुदा की नेमत
खुदा की नेमत
इस ज़िन्दगी को
बख़्शा है उस खुदा ने
उसी की नेमत है ये
उसी ने इसे
आकार दिया
प्रकार दिया
परवान चढ़ाया
इसलिए ऐ बंदे
ये ज़िन्दगी है
नेमत भी उसकी
अमानत भी उसकी
संभालकर
सिर आंखों पर रख
इस तरह
मैला न कर
बर्बाद न कर
कुदरत के इस
अनमोल तोहफे को !
यूं न खेल इससे
इसलिए कि ये ज़िन्दगी -
कोई खेल नहीं है
ना कोई खिलौना है
ये ज़िन्दगी तो
एक जज़्बाती ज़ख़ीरा है
जहां अहसासों का बसेरा है
जो घर तेरा है !
