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Krishna Khatri

Abstract

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Krishna Khatri

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खुदा की नेमत

खुदा की नेमत

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इस ज़िन्दगी को

बख़्शा है उस खुदा ने  

उसी की नेमत है ये 

उसी ने इसे 

आकार दिया 

प्रकार दिया 


परवान चढ़ाया 

इसलिए ऐ बंदे 

ये ज़िन्दगी है


नेमत भी उसकी 

अमानत भी उसकी 

संभालकर

सिर आंखों पर रख 

इस तरह 


मैला न कर  

बर्बाद न कर

कुदरत के इस 

अनमोल तोहफे को !


यूं न खेल इससे 

इसलिए कि ये ज़िन्दगी -

कोई खेल नहीं है 

ना कोई खिलौना है 


ये ज़िन्दगी तो 

एक जज़्बाती ज़ख़ीरा है 

जहां अहसासों का बसेरा है 

जो घर तेरा है !


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