अश्रु मेरे ..... !
अश्रु मेरे ..... !
अश्रु मेरे
जब तक थे मुझमें
समंदर थे
तीर दर्द का लगा
नदिया बन गए
इस नदिया के संग
बह चली मैं भी
तुम और भी दूर होते गए
मैं इंतजार करती रही
उस लहर का
साथ जिसके -
आने वाले थे तुम
मगर अफसोस
ना वो लहर आई
ना आए तुम
इंतज़ार बेचारा तो
फक़त इंतज़ार ही
करता रह गया !