STORYMIRROR

MUKESH KUMAR

Romance

4  

MUKESH KUMAR

Romance

तुम्हारा ख़्याल है

तुम्हारा ख़्याल है

1 min
228

तुम्हारा ख़्याल है, ग़म हो जायेंगे, तुम जो दूर गई 

मगर और ज़्यादा सह नहीं पाएंगे तुम जो दूर हुई।


तुम तो इस ज़िस्त में मेरी आंखों की हो बीनाई

हम तो मर–मिटे थे देखके तेरे दांतों में मीनाई।


हम जहां भी गए कू–बू–कू कि तुम्हारी पज़ीराई

लेकिन भरे बाज़ार में तुम कर गए हमसे रुसवाई।


बाज़ार में नज़र आए कर न पाए हमसे शनासाई 

हम आहें भरते रहे लेकिन तुम कर गए बेवफ़ाई।


तुमने तो मुझसे ना मिलने की झूठी कसमें खाई 

बीमार हुआ मैं और तुम दवा भी करने ना आई।


मैं गिरता रहा संभल ना पाया तुम कैसे रहनुमाई

अपने ग़मों को छोड़के मैं भी चाहता था शहनाई।


तुमको इश्क़ में चाहा है सदियों से रहा तेरा शैदाई 

सिर्फ रूह से चाहा तुझे हमने ना देखी तेरी रानाई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance