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MUKESH KUMAR

Romance

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MUKESH KUMAR

Romance

एक कोशिश

एक कोशिश

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तेरी आँखों से इश्क़ है मुझे

मगर तेरी वफ़ा पर यकीन कैसे करूँ।


तेरे हुस्न पर ऐतबार है मुझे 

मगर तेरे दिल पर यकीन कैसे करूँ।


तेरे दिल से सहर है मुझे

मगर ज़िंदा है ये यकीन कैसे करूँ।


तेरे लबों से एहतिराम है मुझे 

मगर तेरी बातों पर यकीन कैसे करूँ।


तेरे जिस्म से लगाव है मुझे

मगर तेरी रूह पर यकीन कैसे करूँ।


तेरी धड़कनों से जीना है मुझे

मगर तेरी साँसो पर यकीन कैसे करूँ।


एक कोशिश तू चाँदनी है मेरी

मगर अर्श से गायब हुई यकीन कैसे करूँ।


तेरे उजास में मेरी तीरगी मिट जाए

किसी दिन तू न खिली यकीन कैसे करूँ।


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