लाख इम्तहां होंगे जुनूने -इश्क़ में, निगाहों से दिल में उतरने के लिए। लाख इम्तहां होंगे जुनूने -इश्क़ में, निगाहों से दिल में उतरने के लिए।
मैंने माना तू बड़ा है प्यासा रखता है मगर ए समंदर तू है छोटा मुझ नदी के सामने। मैंने माना तू बड़ा है प्यासा रखता है मगर ए समंदर तू है छोटा मुझ नदी के सामने...
अब तलक भी मुन्तज़िर है ज़ीस्त का वक़्त आखिर गुन गुनाता कौन है? अब तलक भी मुन्तज़िर है ज़ीस्त का वक़्त आखिर गुन गुनाता कौन है?
कौन सी मुश्किल है साहब आदमी के सामने । अब कोई पत्थर नहीं है इस नदी के सामने ।। कौन सी मुश्किल है साहब आदमी के सामने । अब कोई पत्थर नहीं है इस नदी के सामने ।...
इक राह पे ही चलना यूँ तो बुरा नहीं है लेकिन यहीं करेगा तो कब नया करेगा। इक राह पे ही चलना यूँ तो बुरा नहीं है लेकिन यहीं करेगा तो कब नया करेगा।