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Gulab Jain

Drama

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Gulab Jain

Drama

ख़ुशनुमां लम्हें ...

ख़ुशनुमां लम्हें ...

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ग़म की गलियों से गुज़रने के लिए |

जो लम्हें थे खुशनुमां, सब ले लिए।


हर सू तीरगी छाई तेरे जाने के बाद,

रौशनी देते बस तेरी यादों के दीये।


काश, ज़ीस्त सजी होती बस ख़ारों से,

हयाते-गुल तो मिली बिखरने के लिए।


इतना आसां कहाँ सुर्ख़रू होना भला,

हिना भी पिसती है निखरने के लिए।


लाख इम्तहां होंगे जुनूने -इश्क़ में,

निगाहों से दिल में उतरने के लिए।


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