ख़ुशनुमां लम्हें ...
ख़ुशनुमां लम्हें ...
ग़म की गलियों से गुज़रने के लिए |
जो लम्हें थे खुशनुमां, सब ले लिए।
हर सू तीरगी छाई तेरे जाने के बाद,
रौशनी देते बस तेरी यादों के दीये।
काश, ज़ीस्त सजी होती बस ख़ारों से,
हयाते-गुल तो मिली बिखरने के लिए।
इतना आसां कहाँ सुर्ख़रू होना भला,
हिना भी पिसती है निखरने के लिए।
लाख इम्तहां होंगे जुनूने -इश्क़ में,
निगाहों से दिल में उतरने के लिए।
