हसीन लम्हें...
हसीन लम्हें...
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फ़ुर्सत के दो-चार पल गर मिल जाएं |
अपने ख़ाबों से जा कर फिर मिल आएं |
बातें तो बहुत कर लीं हालात बदलने की,
कुछ ऐसा करें कि ज़मीं- आसमां हिल जाएं|
पुख़्तगी इरादों की तब होगी मालूम,
मुसलसल चलते रहें चाहे पाँव छिल जाएं |
शिद्दत से चाहत है दिल में अगर तो,
सहरा में भी गुले-मुहब्बत खिल जाएं |
चलो आज फिर खोलें यादों का पिटारा,
शायद उस में कुछ हसीन लम्हें मिल जाएं |