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Gulab Jain

Others

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हसीन लम्हें...

हसीन लम्हें...

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फ़ुर्सत के दो-चार पल गर मिल जाएं |

अपने ख़ाबों से जा कर फिर मिल आएं |

बातें तो बहुत कर लीं हालात बदलने की,

कुछ ऐसा करें कि ज़मीं- आसमां हिल जाएं|

पुख़्तगी इरादों की तब होगी मालूम,

मुसलसल चलते रहें चाहे पाँव छिल जाएं |

शिद्दत से चाहत है दिल में अगर तो,

सहरा में भी गुले-मुहब्बत खिल जाएं |

चलो आज फिर खोलें यादों का पिटारा,

शायद उस में कुछ हसीन लम्हें मिल जाएं |



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