मुक़ाबला मुश्किलों से ___
मुक़ाबला मुश्किलों से ___
राह मुश्किल तो है मगर चलना होगा
रुखे-आफ़ताब किया है तो जलना होगा ।
ज़िंदगी तपिश के सिवा कुछ भी नहीं,
बर्फ़ की मानिंद बस पिघलना होगा ।
क्यूँ बुलंदी पे इतराए आफ़ताब,
शाम होगी, उसको भी ढ़लना होगा।
इतना आसां कहाँ अंधेरे रौशन करना,
शमा को भी रात भर पिघलना होगा।
क्यूँ घबराते हो मुश्किलों से ऐ दोस्त।
'गुलाब' को काँटों के संग पलना होगा।