Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Gulab Jain

Others

3  

Gulab Jain

Others

प्रेम के फूल...

प्रेम के फूल...

1 min
529


ऐसा कोई गीत सुनाओ

जीवन की इस बगिया में जो,

मधुर प्रेम के फूल खिलाए।

मेरे भारत की माटी में,

केसर और गुलाब खिलाए।


मानव को मानव से जोड़े,

वर्ण-जाति के भेद मिटाए।

मज़हब की दीवारें तोड़े,

राम-रहीम एक हो जाएँ।

यह अशांत जग ढूंढ रहा जो,

कोई सुन्दर राह दिखाए।


विश्व-शान्ति की परिभाषा,

जग के कण-कण को समझाए।

ऐसा कोई गीत सुनाओ,

ऐसा कोई गीत सुनाओ।


Rate this content
Log in