प्रेम के फूल...
प्रेम के फूल...
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ऐसा कोई गीत सुनाओ
जीवन की इस बगिया में जो,
मधुर प्रेम के फूल खिलाए।
मेरे भारत की माटी में,
केसर और गुलाब खिलाए।
मानव को मानव से जोड़े,
वर्ण-जाति के भेद मिटाए।
मज़हब की दीवारें तोड़े,
राम-रहीम एक हो जाएँ।
यह अशांत जग ढूंढ रहा जो,
कोई सुन्दर राह दिखाए।
विश्व-शान्ति की परिभाषा,
जग के कण-कण को समझाए।
ऐसा कोई गीत सुनाओ,
ऐसा कोई गीत सुनाओ।