हम पंछी उन्मुक्त गगन के उड़ चले तोड़ बंधन जीर्ण रुढि के हम पंछी उन्मुक्त गगन के उड़ चले तोड़ बंधन जीर्ण रुढि के
है जहाँ सत्य, अहिंसा, और दोहराते हैं नारे जहाँ हथियार और दुश्मन भी हारे है जहाँ सत्य, अहिंसा, और दोहराते हैं नारे जहाँ हथियार और दुश्मन भी हारे
एक दिया जलाऊँ ऐसा, बड़ों का सदा सम्मान हो पाये। एक दिया जलाऊँ ऐसा, बड़ों का सदा सम्मान हो पाये।
था दुःखी अंतस सिद्धार्थ का आहत हंस किया दवा पानी घायल गति जानी है सुख सुकून माँ की झोली ... था दुःखी अंतस सिद्धार्थ का आहत हंस किया दवा पानी घायल गति जानी है सुख ...
आइए! विश्व शांति की बात करते हैं अपने ही घर से सिर फुटौव्वल की शुरुआत करते हैं। आइए! विश्व शांति की बात करते हैं अपने ही घर से सिर फुटौव्वल की शुरुआत करते...
विश्व-शांति की मांग करता कवि, सब के मन में प्रेम, सद्भाव और अपनेपन का एहसास हो, यही कामना कर रहा है.... विश्व-शांति की मांग करता कवि, सब के मन में प्रेम, सद्भाव और अपनेपन का एहसास हो, ...