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Gulab Jain

Inspirational

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Gulab Jain

Inspirational

दीपक और तूफ़ान.....

दीपक और तूफ़ान.....

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आशा का इक दीप जलाकर,

स्वपन डगर पर क़दम बढ़ाए।

स्नेह-ज्योति से दूर हुआ तम,

गीत ख़ुशी के मैंने गाए।


क्यों मुंह फेरूं कर्तव्यों से,

क्यों भूलूँ मैं ज़िम्मेदारी,

लक्ष्य मैं अपना पा ही लूँगा,

साथ कोई आए न आए।


दुख और दर्द भुलाए मैंने,

निराशाओं को पग से कुचला,

मिला कारवां ख़ुशियों का जब,

गीत मधुर प्रेम के गाए।


मैंने कभी न रुकना सीखा,

मैंने कभी न झुकना सीखा,

मेरा दीपक सक्षम इतना,

तूफ़ानों से जा टकराए।


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