,,,,,वो शिक्षक
,,,,,वो शिक्षक
ज्ञान ज्योति को जगमग कर दे,
मूढ़ मति का हरण करें जो,
सही ग़लत का भेेेद बताए,
ऐसा प्रकाश पुंज है शिक्षक।
शिक्षक वो जो राह दिखाए,
हाथ पकड़ कर चलना सिखाए
गलती करने पर डांट भी ले पर,
मन में सदा शिष्ष्य हित चाहे।
जाति धर्म से ऊपर उठकर,
भेदभाव की दीवार गिरा देे
छोटी सी , कलम को वक्त पर,
धारदार समसीर बना दे।
देश हित में जो लड़ना सिखा दे,
मानवता के लिए खून बहा दे,
संस्कारोंं को पोषित कर दे,
ऐसी अक्षुुण्ण् ताकत है शिक्षक।
राष्ट्र हित का भार उठा देे
जन जन तक शिक्षा पहुंचा देे,
खुद जलकर जो रौशन कर दे,
वो जलता चिराग है शिक्षक।
भटक चुकी पीढ़ी को पथ दे,
कांटों में भी पुष्प खिला दें,
अनगढ़ को जो मूर्ति रूूप दे,
ऐसा संगतराश है शिक्षक ।
राष्ट्र का निर्माता शिक्षक,
कर्णधारों का भाग्य विधाता शिक्षक,
मानव धर्म का मर्मज्ञ है शिक्षक,
ऐसा विशद संस्थान है शिक्षक।
