STORYMIRROR

Neeraj pal

Inspirational

4  

Neeraj pal

Inspirational

भव से पार।

भव से पार।

1 min
220

जन्म देकर मानव का मुझ पर, किया बड़ा तुमने उपकार,

संसार में पड़कर ऐसा उलझा, करता रहा सपने साकार,

मैं मूढ़मति, क्या जानूँ प्रभु ,की लीला अपरम्पार।।


भवसागर में गोते खा कर, करता रहा मैं चीख-पुकार,

जैसी करनी, वैसी भरनी, झूठा है शकल संसार ,

जब अपनों ने ही धिक्कार दिया, तब भी करता इतना प्यार ।।


धन -दौलत वैभव के खातिर, समय किया बड़ा बेकार,

 फिर भी मन में अशांति छाई, किससे करूँ करुण पुकार,

" गुरु की कृपा" जिस पर भी होती, यही जगत का है असली सार।।


प्रभु ने भी गुरु, को किन्हा, किया बड़ा उनका सत्कार ,

बिन गुरु किन्हें कुछ ना होगा, जल जाए पूरा संसार ,

अब भी समय है, गुरु को भज ले, कर देंगे "भव से पार" ।।


आज त्रासित वही लोग हैं ,जो ना पहुंचे गुरु दरबार, 

याद का उलटा दया होता है ,करते इतना सब से प्यार,

अभी भी "नीरज" तू सँभल जा, हो जाएगा तू भव से पार।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational