सूरज
सूरज
डूबता हुआ सूरज हूँ ढल जाऊँगा!
प्रकश से अन्धियारे की और ले जाऊँगा!!
चाँद की चांदनी दे जाऊँगा!
तारों की रौशनी छोड़ जाऊँगा!!
मिलेगी किसीको असफलता की मायूसी
होगी किसीको नाकामयाबी की निराशा,
पर फिर भी छोड़ दूंगा एक आशा!
क्योंकि अगले दिन होगा फिर एक सवेरा!
और फिर बसेगा किसीका बसेरा!!
तुम छोड़ के निराशाओं को एक छोर
बढ़ोगे प्रकाश के ओर!
लेकर प्रयतन का सहारा,
बनोगे सबकी आँखों का तारा!!
ऐसे ही होगी मेरी आवाजाही!
जो छोड़ देगी मेरी छाप भर सारी!!!
डूबता हुआ सूरज हूँ ढल जाऊँगा!
प्रकाश से अन्धियारे की और ले जाऊँगा!!
