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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

चरण-रज।

चरण-रज।

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इन आँखों से सिर्फ दीदार हो, सिर्फ मेरे गुरु- भगवान के।

जिह्वा भी गर नाम ले, तुम्हारे ही यशगान के।।


 रोगी- काया, हृदय -मलिन, आत्मबल का तो कुछ पता नहीं।

 गुरुवर अब तुम्हारा ही आसरा, दूसरा कोई अब अपना नहीं।।


 मन का पंछी भी तड़प रहा, तुम तक किस विधि पहुँच सकूँ।

 अब बस केवल यादों के सहारे, शेष अपना जीवन बिता सकूँ।।


यम- नियम कुछ कर ना पाता, खुद के प्रयास सब विफल हो जाते।

कुछ दिन तक सदवृत्ति रहती, सपनों में भी तुम समझाते।।


 सत, रज, तम के चक्कर में, तुमने हमेशा मुझे झकझोरा है।

 बिन गुरु -कृपा के सुलभ न कुछ भी, निर्मल न अब मन मेरा है।।


मन, बुद्धि, अहंकार ने तो ,काया पर डाला ऐसा डेरा है।

काम, क्रोध, लोभ और माया से, इन पर ना चलता बस अब मेरा है।।

 

इन सबसे परे है "तुम्हारी" लीला, तुम बिन है अब सब कुछ सूना।

"नीरज "खड़ा है बना भिखारी" चाहत लिए चरण-रज छूना।।


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