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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Inspirational

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Inspirational

गुरु नाविक का ज्ञान

गुरु नाविक का ज्ञान

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श्रद्धा का है आवरण, अंदर झूठी शान ।

शिष्य दान सा दे रहे, गुरुओं को सम्मान ।।


गुरु शिल्पी की भाँति ही, देता शिशु को रूप ;

माटी के तन में मिला, संस्कारों की जान ।


जिसको सच्चा गुरु मिले, समझे वह सौभाग्य ।

होती सबके भाग्य में, कब हीरे की खान ।।


खुद जलता है उम्र भर, देता मगर प्रकाश ।

उसी दीप की भाँति तुम, और तुम्हारा ज्ञान ।।


टूटी जीवन नाँव पर, बैठा जीव अबोध ।

पार हुआ भव जब मिला, गुरु नाविक का ज्ञान ।



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