गुरु शिष्य
गुरु शिष्य
वेदों में वर्णित है मंत्र जिनके, वो ब्रह्म गुरु ज्ञानी है।
जीवन का नीव जो रखा धरा पर, वो गुरु अवतारी है।।
जन्म मरण से ऊपर है जो, वो केशव अनंत अविनाशी है।
जीवन को जिसने सुदृढ़ बनाया, वो सबका पालनहारी है।।
पिया ज़हर जिसने संसार के लिए, वो नीलकंठ सर्वव्यापी है।
सृष्ठि को विष से बचाया जिसने, वो भोले नाथ उपकारी है।।
सागर सा हृदय है जिनका, वो गुरु जीवनदायिनी है।
हम भूल कैसे प्रथम गुरु को, जो सर्वगुण संपन्न नारी है।।
जो ज्ञान दे वो गुरु हुए, पर जो श्वास दे वो हितकारी है।
जो नित्य नया जीवन दे, वो प्रकृति हमारा परोपकारी है।।
