विघार्थियों की तपस्या....।
विघार्थियों की तपस्या....।
अनेकों बार देखा मैंने उन बच्चों को,
जो देर रात खम्भों के नीचे बैठकर पढ़ते हैं,
कभी कभी
तो पढ़ने के लिए पहले चना बेचकर पैसा कमाते हैं,
फिर जाकर अपने विद्यालय की फीस भरते हैं,
सचमुच उन विद्यार्थियों की तपस्या को नमन है,
यूं ही नहीं आते मैरिट में बच्चे साहब,
टीचर और विद्यार्थियों की दिन रात की तपस्या है,
कुछ समय के लिए मानो भूत होता उन पर सवार है,
तभी जाकर वहीं बच्चे देश में नंबर वन आते हैं,
कहते हैं स्कूल का नाम तभी होता है,
जब उसमें पढ़ने वाले बच्चे अव्वल आते हैं,
और विद्यार्थी अपने उद्देश्य पर तभी सफल होते हैं,
जब उनके साथ टीचर भी मेहनत करते हैं,
अंततः हम कह सकते हैं,
तपस्या दोनों की मिलकर बेहतर परिणाम लाती है।
