इस विनती की लाज रखना मातृ सुरूपा मैं नदी हूं। इस विनती की लाज रखना मातृ सुरूपा मैं नदी हूं।
जो अच्छे कर्म करता वो मर कर भी जीवित रहता है। जो अच्छे कर्म करता वो मर कर भी जीवित रहता है।
एक दिन कलम ने मेरी, मुझसे प्रश्न व्यंग्यमय पूछा, क्यों लिखती हो काव्य , नहीं क्या का एक दिन कलम ने मेरी, मुझसे प्रश्न व्यंग्यमय पूछा, क्यों लिखती हो काव्य , ...
बनो कंधा तुम रोते का और बंदुहिन का मित्र बनो बनो ध्वजा तुम सद्भाव का बनो कंधा तुम रोते का और बंदुहिन का मित्र बनो बनो ध्वजा तुम सद्भाव का
पथिक हूं इस धरा पर, एक सार्थक यात्रा करनी है पथिक हूं इस धरा पर, एक सार्थक यात्रा करनी है
फिर एक पल ऐसा आता है फिर एक पल ऐसा आता है