सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान। सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान।
किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम। किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम।
शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ। शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।
निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन। निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन।
पाषाणों में रहते-रहते, प्रभु ! क्या तुम भी पाषाण हो गए ? पाषाणों में रहते-रहते, प्रभु ! क्या तुम भी पाषाण हो गए ?
एक दिन कलम ने मेरी, मुझसे प्रश्न व्यंग्यमय पूछा, क्यों लिखती हो काव्य , नहीं क्या का एक दिन कलम ने मेरी, मुझसे प्रश्न व्यंग्यमय पूछा, क्यों लिखती हो काव्य , ...