STORYMIRROR

आलोक कौशिक

Abstract

3  

आलोक कौशिक

Abstract

कवि सम्मेलन

कवि सम्मेलन

1 min
293

स्वार्थपरायण होते आयोजक 

संग प्रचारप्रिय प्रायोजक 


भव्य मंच हो या कोई कक्ष 

उपस्थित होते सभी चक्ष 


सम्मुख रखकर अणुभाष 

करते केवल द्विअर्थी संभाष 


करता आरंभ उत्साही उद्घोषक 

समापन हेतु होता परितोषक 


करते केवल शब्दों का शोर 

चाहे वृद्ध हो या हो किशोर 


काव्य जिसकी प्रज्ञा से परे होता 

आनन्दित दिखते वही श्रोता 


करतल ध्वनि संग हास्य विचारहीन 

होती कविता भी किंतु आत्माविहीन 


मिथ्या प्रशंसा कर पाते सम्मान 

है अतीत के जैसा ही वर्तमान 


निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन 

सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन। 


এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

Similar hindi poem from Abstract