अतीत को भूलने की बात तुम भी करते हो पर हर घड़ी अतीत में लौटने की चाह पुरवइया सी मचलती होगी … अतीत को भूलने की बात तुम भी करते हो पर हर घड़ी अतीत में लौटने की चाह पुरवइया सी...
काल जाता है ठहर टूट पड़ता है कहर क्षमा माँगता अतीत काल जाता है ठहर टूट पड़ता है कहर क्षमा माँगता अतीत
साफ करना चाहता हूँ एक-दूसरे से गुथे यादों के जालों को और फँस जाना चाहता हूँ दोबारा, साफ करना चाहता हूँ एक-दूसरे से गुथे यादों के जालों को और फँस जाना चाहता हूँ द...
जीने के सिवाय न कोई विकल्प, एक बार करे मन में संकल्प। जीने के सिवाय न कोई विकल्प, एक बार करे मन में संकल्प।
निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन। निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन।
मन के धरातल पर यह काँच का बसंत। मन के धरातल पर यह काँच का बसंत।