दिल्ली के सरकारी स्कूल में शिक्षक, कवि, लेखक और टिप्पणीकार।
अब उनको सामान्य आगंतुक मानकर ही आतिथ्य दिया जाता था। अब उनको सामान्य आगंतुक मानकर ही आतिथ्य दिया जाता था।
सोऊंगा तभी तो आंख खुलेगी समय से। सोऊंगा तभी तो आंख खुलेगी समय से।
बाइक की रफ्तार न जाने क्यों बहुत कम हो चुकी थी। फिर सोचने लगा था कि मिलकर क्या कहूँगा... बाइक की रफ्तार न जाने क्यों बहुत कम हो चुकी थी। फिर सोचने लगा था कि मिलकर क्या क...