STORYMIRROR

Ranjeet Tiwari

Abstract

3  

Ranjeet Tiwari

Abstract

संकल्प

संकल्प

1 min
244

उस अतित से कह दे कोई,

हम भूले जख्म अभी तक नहीं। 

उन्ही जख्मों को ले जीना होगा,

जहर जिंदिगी का तो पीना होगा। 


आगे बढ़ना ही जिंदिगी कहती है।,

सरिता भी कब कहा रूकती है ?

जिंदिगी में जब तक श्वास चले,

कुछ कर गुजरने का विश्वास पले। 


सफ़र जिंदगी पड़ाव मृत्यु कहलाती,

फिर भी शरीर आत्मा दिया बाति। 

जीने के सिवा न कोई विकल्प,

एक बार करे मन में संकल्प। 


अब अतीत भी आज जान लें,

हमने पहचाना वो भी हमें पहचान लें। 

उम्मीदों के आधार नींव पर,

बनायेंगे फिर कर्मों से स्तंभ प्रखर।

 

ग्रहण बाद फिर सूरज आकाश में,

फिर से धरा सजी नये प्रकाश में। 

चाहें हो दुखों का सागर फैला,

पर उम्मीदों का किश्ती ही चला। 


जीने के सिवाय न कोई विकल्प,

एक बार करे मन में संकल्प। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract