कैसे कहूँ कि अभी वक्त है।
कैसे कहूँ कि अभी वक्त है।
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जो देखे थे नज़ारे हमने
किताब बन गए है यादों के
मुरझा गया गुलिस्तांए चमन
उम्मीद क्या टूटे वादों से
फ़क़ीर बन के निकले आज
हम नवाबों के शहर से
बड़े खुश किस्मत हैं वो लोग
बचे जो किस्मत के कहर से
आँखों में सागर है
पर होठों पर प्यास है
जब तक साँस है
तब तक आस हैं
फिर किस्मत जीती हमसे
जिंदगी की बड़ी बाजी
नसीब कब पूछती है किसी से
क्या तुम हो कैसे राजी ?
रोये कैसे न आज नसीब ने
काटा उमीदों का बड़ा दरख्त है
हिम्मत नहीं आज कहने कि
कैसे कहूँ कि अभी वक्त है