कर्तव्य
कर्तव्य
पग बढ़े जिस पथ पर
साहस सहित स्वप्न रथ पर
हताश जीवन की कथा है
कर्म ही जीवन की प्रथा है।
भाग्य कि विडंबना यही
कर्मो कि होती आलोचना ही।
कर्म कारक की ही त्रुटि
कर्महीन से तृण नहीं जुटी।
परीक्षा उन्ही की होती
जो है जग में करमवर्ती।
मिलता है कठिनतम पथ उन्हें
आता ढूढ़ना मार्ग जिन्हे।
अंत वही होते सफलतम
जो निभाते हर क्षण कर्तव्य।
