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Ranjit Tiwari

Action

2.3  

Ranjit Tiwari

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कर्मयुद्व

कर्मयुद्व

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सारे रिश्तों के धागे तोड़ दे,

जब भाग्य भी साथ छोड़ दे 

तेरे जीवन का है जो रथ,

अपने कर्मो से बना उसके लिए पथ 

चाहें सबकुछ हो तेरे विरूद्ध,

फिर भी लड़ना है तूझे ये कर्मयद्ध।

 

जब तक चलती तेरी साँसे,

तब तक रखना मन में आशे 

बांधे चाहें कोई संसारिक बन्धन,

सब देख विकल हो रहा है मन 

मार्ग करें अब कोई अवरुद्ध,

फिर भी लड़ना है तुझे कर्मयुद्ध।


छुप जाते है देख बरसते फुहारें,

तब कहा छुपोगें जब बरसेंगें अंगारे 

ईश्वर ने दिया तूझे जो ताकत 

समय ने दिया लड़ने की हिम्मत 

अपनी आत्मा को कर कर्मो से शुद्ध,

फिर भी लड़ना है तुझे ये कर्मयुद्ध।


जीवन एक कुरूक्षेत्र बना,

समय का प्रत्यंचा भाग्य पर तना 

जैसे पर्वतों ने झुकना नहीं सिखा,

जैसे सागर ने रुकना नहीं सिखा 

वैसे अपनी हिम्मत बांध तू ख़ुद,

फिर भी लड़ना है तुझे ये कर्मयुद्ध।


रुक जाते है तूफान चट्टानों से टकराकर,

दुर्भाग्य सलामी दे कर्मों से झुककर 

साहस है हिम्मत है और हौसला है,

अब तूझे ही करना फैसला है 

चाहे कुछ भी हो तुझ पर क्षुब्द,

फिर भी लड़ना है तुझे ये कर्मयुद्ध।


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