Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Gaurav Tiwari

Abstract Action Inspirational

3.8  

Gaurav Tiwari

Abstract Action Inspirational

क्यूँ कल ?

क्यूँ कल ?

2 mins
422


कल लिखने की तैयारी में हम आज को क्यूँ भूल जाते हैं ?

जो हाथ में है हमारे उसको छोड , दूसरा क्यूँ बढ़ाते हैं ?

वक़्त तो देता ही है सब कुछ, वक़्त आने पर

क्यूँ कुछ ना होने का अफ़सोस जताते हैं ?

जो मिल गया हमें, उसके लिए लोग क़तारों में हैं -

खुदा ने नवाजी जो चीज़ें हमें ,वो आज भी लोगों के ख़्वाबों में है

जी लेते हैं ना ज़िंदगी इन्हीं हासिल चीज़ों में -

क्यूँ कुछ और की तमन्ना में, आज का सुख छोड़ जाते हैं ?

कल लिखने की तैयारी में हम आज को क्यूँ भूल जाते हैं ?


क्या पाया क्या खोया सब यही रह जाना है 

तुम्हारे कर्मों का ही फल तुम्हारे साथ जाना है 

जो लकीरों में तुम्हारे नहीं वो किसी से छीन के भी ना पाओगे

जो तुम्हारे नाम लिखा है, तुम्हारे दर पे ही आना है 

तो हम चीजों की चाहत में लड़ के क्यूँ रो जाते है ?

कल लिखने की तैयारी में हम आज को क्यूँ भूल जाते हैं ?


हर पल बदलता रहता है 

और लोग बदलते रहते है 

दुनिया बदलती रहती है 

और हम भी बदलते रहते हैं 

फिर क्यूँ बीती यादों में जीते हैं ?

और आज को नज़रंदाज़ कर जाते हैं 

कल लिखने की तैयारी में हम आज को क्यूँ भूल जाते हैं ?


ये पैसे, शोहरत, इज़्ज़त, दौलत से

तुम बस नाम कमाओगे 

जो नेकी पे ना ध्यान दिया

सोचो साथ क्या ले जाओगे ?

मुकद्दर तो ऊपर वाला देता हैं 

अगली बार कहाँ से लाओगे ?

जो हैं बस आज ही हैं, सच्चाई से हम क्यूँ आँख फेर जाते हैं ? 

कल लिखने की तैयारी में हम आज को क्यूँ भूल जाते हैं ?


जी लो 'प्यारे' , प्यारे ये दो पल -

कल ये साथ ना होगा तुम्हारे 

सारी वादियां ये छटनी ही हैं 

ये पल भी बीत जाएंगे सारे 

मुट्ठी में जो हैं , जी भर जी लो 

कब गर्दिश में हो जाये सितारे ?

जीना तो हैं वक़्त के साथ , वक़्त से फिर क्यूँ गम खाते हैं ?

कल लिखने की तैयारी में हम आज को क्यूँ भूल जाते हैं ?

-


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract