यह दुनिया कितनी गोल है
यह दुनिया कितनी गोल है
यह दुनिया कितनी गोल है।
धरती का आकार ही नहीं,
उसपर चलता फिरता संसार भी गोल है।
ख़ुद में खुद को समाई हुई,
खुद के द्वारा बनाई हुई,
बाहर की दुनिया, कुछ और,
भीतर की दुनिया कुछ और हैं।
कितना झोल है।
यह दुनिया कितनी गोल है।
समय का सिकंदर रास्ते की
हर लडाई जीतते जाता।
लौटते वक़्त, पानी की लड़ाई
हार जाता।
जगजेता का ये मख़ौल है।
यह दुनिया कितनी गोल है।
घमंड ना हो किसी को अपने आप पर,
ना दौलत, ना शोहरत, ना अपने ताज पर।
मिट्टी से उठा बादशाह भी,
चार कांधो पर लौट जाता।
किस्मत का ये ही भूगोल हैं
यह दुनिया कितनी गोल है।
