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Mayank Kumar 'Singh'

Abstract

4.9  

Mayank Kumar 'Singh'

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माँ

माँ

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दबाव में जिया जिंदगी

फिर भी यार मैं खुश हूं

कितने अपने थे दोस्त पहले

लेकिन आज रोज खुश हूं

किसी ने सच कहा है न

"माँ "ही हैं संसार में फरिश्ता

जब कभी दुखी होता हूं

माँ के पास होता हूं !

मेरे माथे पर,

उसके हाथ रखने से

बड़ा सुख मिलता है

जब कभी दुनिया की

भीड़ ने थकाया

माँ ने अपने आंचल

की छांव में सुलाया

इसलिए अब रोज खुश हूं !!


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