जवाब दूं क्या
जवाब दूं क्या
आख़िर कौन हूँ मैं जवाब दूं क्या
अनसुलझी सवाल हूँ जवाब दूं क्या
खड़े हो जाते सवाल हर जवाब पर
एक ताला जड़ासा ज़ुबाँ जवाब दूं क्या
बवाल मचती जब कराहती कोशिशें
क़ामयाबी कोसों दूर जवाब दूं क्या
सावन की बाट में जेठ से जूझता हूँ
तपती रेत में पैर जवाब दूं क्या
हवा की सफ़र में बयार बैर हो अगर
बेअसर तलाश हूँ जवाब दूं क्या
इधर की पता नहीं उधर ठिकाना दूर
पतवार मझधार हूँ जवाब दूं क्या