जेठ आसाढ़ के बाद है जेठ आसाढ़ के बाद है
जब जेठ की हो दोपहरी, हम छाँव ढूंढते फिरते हैं। जब जेठ की हो दोपहरी, हम छाँव ढूंढते फिरते हैं।
जेठ की कुम्हलाई धरती पे एक बार फिर, हरियाली आ जाती है। जेठ की कुम्हलाई धरती पे एक बार फिर, हरियाली आ जाती है।
उजाड़ से ये दिन कैसे कटेंगे अब पहाड़ से ये दिन ! उजाड़ से ये दिन कैसे कटेंगे अब पहाड़ से ये दिन !
शर्त थी तुम्हारी, तुम ताज बोल दिए शर्त थी तुम्हारी, तुम ताज बोल दिए
यारों के बिना कैसे जी पाएंगे मुझे नहीं लगता हमने जो भी लिखा सब कुछ है पूरा भोलू के बिना सब कुछ है म... यारों के बिना कैसे जी पाएंगे मुझे नहीं लगता हमने जो भी लिखा सब कुछ है पूरा भोलू...