यारों के बिन कैसे जी पाएंगे?
यारों के बिन कैसे जी पाएंगे?
टपरे की चाय और हॉस्टल का खाना
रात भर जग के सुबह वडीबा और पचौरी के साथ चाय पीने जाना
सिविक सेंटर में बांटा में बैठकर गप्पे लड़ाना
शशांक मिश्रा के साथ मिलकर सुमित और रचित को चिढ़ाना
चल भाई दारू पीते हैं सुनके कुलदीप के साथ वाइट रोज पहुंच जाना
यूं तो राजा पड़ता हमारे साथ है लेकिन उसको सर कहकर बुलाना
और रिचा के साथ बिना कप की ने चाय पीते जाना और त्रिपाठी जी कहकर बुलाना
प्रदीप को जेठ जी करके चिढ़ाना
मुझे नहीं लगता अब यह दिन आएंगे यारों के बिना कैसे जी पाएंगे
हमको हमारे तिवारी जी बहुत याद आएंगे पहली मुलाकात हर वह बात तिवारी जी चाय पिला दो समोसा खिला दो अब किसको चढ़ाएंगे
यारों के बिना कैसे जी पाएंगे
मुझे नहीं लगता हमने जो भी लिखा सब कुछ है पूरा भोलू के बिना सब कुछ है मेरा अधूरा