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कभी खुशी कभी गम

कभी खुशी कभी गम

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कभी ख़ुशी कभी गम के चक्कर में

मैं आया था हाँ मैं एक दिन रोते रोते


मुस्कुरा था समय ऐसा आया था

की हॉस्टल में घर की याद का


टाइम आया था और मम्मी का

आया यूँ तो रो रहा था मैं


लेकिन बचपन के किस्से सुन

मुस्काते मुस्कराते अपने आप को


ना रुक पाया था उस दिन दिल

खोल के हँस पाया था।


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