भूख
भूख
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन
जीवन की टुक
मन की भूख
तन की भूख
कहाँ गयी कोयल की कूक !
दिन हूए पल छीन
उपहार से ये दिन
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन !
चरण अविराम के
रुक गए कैसे राम के !
सीता सरिखा मन गये क्यों दिन
बहार से ये दिन
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन !
जेठ की तपन
मन की अगन
तन की जलन
लूट गया अगन छुआ गगन !
चली वह पश्चिमी नागिन
उजाड़ से ये दिन
कैसे कटेंगे अब पहाड़ से ये दिन !