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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

प्यार का पंचांग !

प्यार का पंचांग !

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सुनो 

तुम से दूर रहकर भी 

तुम्हारे समर्पण को महसूस 

करना सुखद एहसास देता है ;

जैसे 

आषाढ़ की बदली में 

छुपकर भी सूरज गर्माहट 

और रौशनी जरूर देता है ;

पर 

मेरी हो कर भी 

तुम्हारा मुझ से दूर रहना 

मुझे यूँ लगता है !

मानो

जेठ की दोपहरी में 

सर पर तैनात सूरज की 

जला देने वाली तपन ;

क्या 

प्यार के पंचांग में

जेठ आसाढ़ के बाद है ! 



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