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S Ram Verma

Romance

4.5  

S Ram Verma

Romance

सुनहरा संसार

सुनहरा संसार

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645


ऐसा नहीं कि सिर्फ 

तुम्हे देखते रहने से 

बल्कि जब जब मैं 

अपनी आँखें बंद करता हूँ

तब भी तुम आकर 

बैठ जाती हो मेरी 

पलकों की मुंडेर पर 

और झाँकती हो 

मेरी आँखें में और 

बिखेर देती हो उनमें  

जाने कितनी ख्वाहिशें 

कितने सपने कितनी 

ही चाहते और जब मैं 

देखता हूँ तुम्हारी बड़ी 

बड़ी आँखों में तब मुझे 

यही बे रंग सा संसार  

कितना सुनहरा लगने 

लगता है !


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