दिन सुहाने आ गए
दिन सुहाने आ गए
दिन सुहाने आ गए, सरसों के खेत लहरा गए,
वसंत ऋतु के आगमन पर, खुशियों के रँग छा गए।
चारों और फूलों ने खिलकर, सबके मन को मोह लिया,
सुहानी हवाओं ने भी बहकर, नए मौसम का वस्त्र ओढ़ लिया।
भँवरों ने जी भर - भरकर, फूलों का रसपान किया,
रँग - बिरंगी तितलियों ने, बगीचे में नृत्य - गान किया।
सरोवरों में खिले कमल, ऐसे मस्ती में चूर हुए,
मानो जल के तालाबों में, दुख के बादल दूर हुए।
आसमान में पक्षियों ने जी भर कर मारी किलकारी,
बसंत ऋतु आ गई है, चलो सब मिल करो तैयारी।
नई फसलों के पकने का, इंतजार खत्म होने वाला है,
किसान भाईयों को भी अब, मेहनत का फल मिलने वाला है।
ऋतुराज का स्वागत करने, सिट्टे भी सिर उठा इतराते हैं,
कमसिन बालाओं की चोटी के, गुंथे फूल खुशबू फैलाते हैं।
प्रकृति ने बदला रूप निराला, हर जीवन में उमंग का भरा प्याला,
चलो देखें नव जीवन का उदय होना, वसंत ऋतु में सबका एक साथ घुलना।।
