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V. Aaradhyaa

Abstract

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V. Aaradhyaa

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आहट सी आई साज़िश की

आहट सी आई साज़िश की

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अगर टूट गया दिल तो उपचार क्यों करूॅंं।

प्रीत लगा कर अब फिर इकरार क्यों करूॅंं।।


साथ तुम्हारा चाहत में वफ़ा करे ना करे ।

रंग भरी आस है भला उसे पार क्यों करूॅंं।।


मतलब से आए तभी रुकना नहीं हुआ।

स्वार्थ से भरा ऐसा कोई व्यापार क्यों करूॅंं।।


अगर तुम सच की राह पर बेतहासा चलते।

तब अपनों ने है तोड़ा अब तकरार क्यों करूॅंं।


आहट ना आई उसके किसी साज़िश की।

पीर अपने दिल में उसका गुलजार क्यों करूॅंं।


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