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Mayank Kumar 'Singh'

Abstract

5.0  

Mayank Kumar 'Singh'

Abstract

थोड़ा चौंकना जिंदगी

थोड़ा चौंकना जिंदगी

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हर एक सपने को समेटे

हर एक खुशी को लपेटे

हर एक मंजिल को रौंदते

थोड़ा चौंकना जिंदगी .......!

खुद में झांकना जिंदगी

कब बीत जाएंगे ये पल

पता ही नहीं चलेगा

इसलिए थोड़ा चौंकना जिंदगी !


जीवन का शेष अंश

ऐसे ही बीत जाएंगे

तुम 75 की हो जाओगी

पता ही नहीं चलेगा

इसलिए थोड़ा चौंकना जिंदगी !

समस्याएं, सफलताएं

विशेषताएं, आशाएं

आकांक्षाएं, मान और सम्मान

को लपेटे हुए !

सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध

समय रहित बनना जिंदगी

नहीं तो फिर चौंकना ज़िंदगी !!


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