अमर हमारी दोस्ती रहेगी
अमर हमारी दोस्ती रहेगी
अब कहाँ रूठने
और मनाने की बात रही ?
हम सभी से जुड़ गए
एहसास ही खलती रही !
दूर इतने हम हो गए
कौन हमको जान पायेगा !
फेसबुक के पन्नों में
नहीं हमें पहचान पायेगा !
हम किसी की बात से
आहत कभी भी हो गए !
आप हमारी भंगिमा को
पहचानने से भी रह गए !
रूठने की अदा
देखकर हम उन्हें जान जाते थे !
उनकी पीड़ा को
समझकर करीब से पहचानते थे !
रूठने मानाने का दौर
यूँहीं चलता रहता था !
प्यार का एहसास इस तरह
मिलता रहता था !
पर आज कहने के लिए
विश्व से हम जुड़ गए हैं !
मित्र लाखों को बनाकर
फ़क्र से हम रह रहे हैं !
कभी मर्म भेदी वाण से
आहत किसीको करते हैं !
दिल की बातों को
इन पन्नों में हम नहीं जानते हैं !
बेरुखी का आलम
पहले तो अनफॉलो करते हैं !
बाद में विक्षुब्ध होकर
मित्र अनफ्रेंड बनके करते हैं !
डिजिटल मित्रता है मित्रता
जब हम जुड़ें हैं प्यार से !
सम्मान सबको दें बराबर
शालीनता की बात से !
हम भले उनको ना देखें
पर लेखनी उनकी कहेगी !
रूठने की बातें भूल जाएँ
अमर हमारी दोश्ती रहेगी !